बुढ़ापा क्यों आता है?
बुढ़ापा अथवा वृद्धावस्था एक
प्राकृतिक क्रिया होती है। हमारे शरीर में उत्पन्न होने वाली जैविक प्रतिक्रियाओं
का शिथिल पड़ जाना अथवा कमजोर हो जाना हमें बुढापे की ओर ले जाता है।
बच्चा जब पैदा होता है तो उसके शरीर
में सभी अंग नए होते हैं। सभी जैविक प्रक्रियाएँ तेजी के साथ चलती रहती हैं।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मनुष्य में जैविक
परिवर्तन होते जाते हैं, इन परिवर्तनों को रोका
नहीं जा सकता। इन्हीं जैविक परिवर्तनों के कारण उम्र के बढ़ने पर बहुत-सी शारीरिक
क्रियाएँ धीमी पड़ जाती हैं, जिनके फलस्वरूप हमें
बुढ़ापा आ जाता है।
प्रौढ़ावस्था में उम्र के अनुसार शरीर
के सभी कार्य एवं क्रियाएँ धीमी होने लगती हैं, जिनके कारण मनुष्य की शक्ति एवं संवेदनशीलता कम हो जाती है।
शारीरिक क्रियाओं के मंद होने के कारण मनुष्य का भार भी घटने लगता है, दृष्टि भी कमजोर होने लगती है और उसके बाल सफेद होने
लगते हैं,
ये सब परिवर्तन बुढ़ापे के लक्षण हैं। .
बुढापे में शरीर की सभी कोशिकाओं और
ऊतकों में परिवर्तन आने शुरु हो जाते है गुरदे, यकृत, प्लीहा और आँतो की
कोशिकाएँ कमजोर हो जाती हैं। शरीर की रक्त शिराएँ पुरानी और कठोर पड़ जाती हैं, जो खून और अन्य पोषक तत्त्वों को शरीर के सभी हिस्सों
में तेजी से नहीं पहुंचा पाती। इन सबका परिणाम यह होता है कि बुढ़ापा बढ़ता ही
जाता है। ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है त्यों-त्यों आँखें, कान, त्वचा, दाँत आदि में कमजोरी बढ़ती जाती है, पाचन-शक्ति धीमी हो जाती है, रक्त प्रवाह अनियमित हो जाता है। अन्त में नतीजा यह
होता है कि बुढ़ापे से गुजरता हुआ मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
अलग-अलग आदमियों के बूढ़े होने की शुरूआत अलग-अलग आयु में हो सकती है, लेकिन बुढ़ापा आता सभी को है, यह एक निश्चित जैविक परिवर्तन है, जिसे रोका नहीं जा सकता। हाँ, इतना अवश्य है कि पौष्टिक भोजन, शुद्ध वातावरण और उचित व्यायाम के द्वारा बुढ़ापे को शीघ्र आने से रोका जा सकता है।